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सूना पहलू सूनी सेज, दूर देस क्यूँ बैठा चाँद
आ जा कितने बरस गए, तू भी होगा तन्हा चाँद
सूनी आँखें बैरी नींद, कैसे देखूँ सपना चाँद
कोई रास नहीं आता, जब से हुआ तू अपना चाँद
झिलमिल मेरी तलैया थी, उस में तेरी छैया थी
अब किस से खेलूँगा मैं, ले गया अपनी छैया चाँद
सो जा तू साजन सो जा, मेरे सपनों में खो जा
रात डूबने वाली है, तड़के घर लौटेगा चाँद
1 comment:
bahut hi achi kavita..
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