रिश्ते नाते दोस्ती प्यार
कोरे शब्द, निरर्थक, बेकार
केवल दुनियादारी-व्यवहार
मैंने सोचा
जाते हैं तो जाएँ मेरी बला से
जी लेंगे अकेला
या ढूँढ लेंगे कोई दूजा
मैंने सोचा
स्वयं ही सत्य है, बस
एकाकी है हर कोई, भीतर
बाकी सब दिल का बहलाना, बहाना
मैंने सोचा
फ़िर मिले तुम, अनायास
ज़िन्दगी ने लगाया व्यंग्य भरा ठहाका
बोली- सब समझते हो, है ना?
कान पकड़े, खिसियाया
गलत थी शायद अब तक मेरी सोच
मैंने सोचा
No comments:
Post a Comment