22.10.09

आद्या के लिए

सुबह एक दोस्त मिला,
बोला,
"बड़े खुश दीखते हो ड्यूड,
तारे तोड़ लाये हो क्या ?"

"तारे नहीं, पूरा चाँद,"
मैंने कहा,
"तोड़ के घर में सजा लिया है,
अब यहीं रहेगा,
शाम घर आना
देखने"

1 comment:

Anonymous said...

emm... interesting thread.