26.4.11

निरंतर

गाली दे कर बात करते थे
गंदे लतीफे सुना सुना हँसते थे 
सस्ती शराब बिना सोडे पी जाते थे
फिर फटे बांस सी आवाज में ग़ज़ल सुनाते थे
अब वक़्त के दरिया ने उन्हें घिस कर पोलिश्ड बना दिया है
वो रूखे पहाड़ी पत्थरों से मेरे पुराने दोस्त

1 comment:

Deepak said...

सिर्फ पत्थर नहीं हैं वो मनु भाई, वो उस नींव के पत्थर हैं जिस पर हमारे अस्तित्व की ईमारत खडी है