घंटों कढ़ची घुमा घुमा
धीमी आंच पे काढ़ी हंसी
तेरी मीठी गाढ़ी गाढ़ी हंसी
***
अपनी धुन में चलते जाना
साल नया है, रोग पुराना
***
साथ बढ़ना है तो पीछे भी हटना सीखो
जब चलो, सोच के कदम रक्खो
आग की उम्र बढ़ानी हो तो
आग की आँच को मद्धम रक्खो
***
तू किस लिए परीशां
क्यूँकर के तू खफ़ा है
वो बेवफ़ा नहीं है
दूजे से बावफ़ा है
धीमी आंच पे काढ़ी हंसी
तेरी मीठी गाढ़ी गाढ़ी हंसी
***
अपनी धुन में चलते जाना
साल नया है, रोग पुराना
***
साथ बढ़ना है तो पीछे भी हटना सीखो
जब चलो, सोच के कदम रक्खो
आग की उम्र बढ़ानी हो तो
आग की आँच को मद्धम रक्खो
***
तू किस लिए परीशां
क्यूँकर के तू खफ़ा है
वो बेवफ़ा नहीं है
दूजे से बावफ़ा है
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