1.1.14

stray lines

घंटों कढ़ची घुमा घुमा
धीमी आंच पे काढ़ी हंसी
तेरी मीठी गाढ़ी गाढ़ी हंसी

***

अपनी धुन में चलते जाना
साल नया है, रोग पुराना

***

साथ बढ़ना है तो पीछे भी हटना सीखो
जब चलो, सोच के कदम रक्खो
आग की उम्र बढ़ानी हो तो
आग की आँच को मद्धम रक्खो

***

तू किस लिए परीशां
क्यूँकर के तू खफ़ा है
वो बेवफ़ा नहीं है
दूजे से बावफ़ा है

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