5.7.14

भाप उठती है

मेरे दिल पे चांदी की वर्की चढ़ी है क्या
आज भी यादों से जैसे भाप उठती है

झीना कोहरा ओढ़ के लेटी है कायनात
और नीचे वादियों से भाप उठती है

कल जहां थी बस्तियाँ, धुआं निकलता है 
और गीले आंसुओं की भाप उठती है 

माँ मुझे तेरी बड़ी ही याद आती है 
जब किसी प्रेशर कुकर से भाप उठती है  

मुश्किलों से नेह का बादल बरसता है   
आंसूं के दरिया से पहले भाप उठती है  

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