1.4.16

छोड़ दें

हूरें हिज़ाब छोड़ दें, जो 
नज़रें हिसाब छोड़ दें

किरदार यां गर्दिश में हैं
कैसे किताब छोड़ दें

तुम भी सवाल छोड़ दो
हम भी नक़ाब छोड़ दें

वो दिल से खूबसूरत है
चेहरे की आब छोड़ दें

तन सांस छोड़ दे भले
आँखें न ख़ाब छोड़ दें

लिखना भी छोड़ देंगे हम
बस ये अज़ाब छोड़ दें

अरमान जो बाकी न हों 
मन्नू खिज़ाब छोड़ दें   

No comments: