8.1.11

धुंध की मीनार

यहाँ पत्थर की लकीरों से वादे न करो
रिश्ते तो धुंध की मीनार हुआ करते हैं

यूँ तो हर दर किसी दीवार से निकलता है
और कभी रस्ते भी दीवार हुआ करते हैं

जिन्हें दुनिया की कोई गर्ज़ नहीं होती है
बड़े दिलचस्प वो किरदार हुआ करते हैं

1 comment:

Anonymous said...

Lagata hai aap Samanvay ki ore ja rahe ho.

Deepak