1.8.13

महानगर की लाल बत्ती

महानगर की लाल बत्ती पे
कितने टूटे हुए इंसां बिखरे

किसी बिगड़े हुए बच्चे के खिलौनों की तरह


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अपना सूखा हुआ मुरझाया सा चेहरा ले के
ताज़े फूलों का बुके बेचने निकली थी वो

फूलों पे पानी छिड़कना नहीं भूली लेकिन

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