1.3.14

मटरगश्ती

https://soundcloud.com/manish-august-bhatt/matargashti

Written by me
Composed and sung by: Mayuresh Kelkar
Recorded at: Studio Dhwani

आ चाल कोई चल के, फिर जिंदगी जगायें
चोरी से धर दबोचें, धप्पा उसे लगायें

सूरज को ढप से ढक दें, लंगड़ से फिर उतारें
बादल किनारे कर के, चंदा को कंचा मारें
चल आसमां को छानें, कुछ तारे बीन लायें

बाहों को हम उठा कर, भर लें हवा बगल में
दौडें ढलान पर आ, इस घास पर उछल लें
बगिया के हाथ से चल, कुछ फूल छीन लायें

नदिया की खींच चुन्नी, मफ़लर उसे बना लें
तकिये में भर के बादल, एक दूसरे को मारें
कपड़े उतार फेंके, बारिश में चल नहायें

बन कर के हम मवाली, खेंचे कनक की बाली
अमरूद सारे झाड़ें, जबरन झुका के डाली
कोयल से छुप-छुपाकर कुछ अम्बियाँ चुरायें

कंकर को मार के चल, कोई गिलहरी डरा दें
खिड़की को खट से खोलें, कोई कबूतर उड़ा दें
पाड़े के पीछे दौड़ें, पिठठू उसे बनायें

कैक्टस से सूत कर के माँझा जरा चढ़ा लें
चीलों को लूट के हम कन्ने उन्हें लगा दें
अंधड़ से आज चल के पेंचे ज़रा लड़ायें

कानों में कुर्र से सीटी, तिनका कोई घुसायें
आ चाल कोई चल के, फिर जिंदगी जगायें

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