10.5.14

किसी घोंघे को चलते देखना पहरों पहर
ये फुरसत चीज़ क्या है बचपना ही जानता है

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मेरे बच्चे अभी भी दोस्तदां हैं
सियासत का इन्हें मालूम क्या है  

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