हर मॉल में ऐ.सी. है, हर जेब में पैसा है
फ़िर दिल में क्यूँ गिरानी, ये माज़रा कैसा है
रूखे से बात करना, हर बात पे अकड़ना
इस शहर में हर शख्स का, कुछ तौर ही ऐसा है
हर पहर में उबासी, बिन बात की उदासी
इनका सबब न पूछो, बस दौर ही ऐसा है
फ़िर दिल में क्यूँ गिरानी, ये माज़रा कैसा है
रूखे से बात करना, हर बात पे अकड़ना
इस शहर में हर शख्स का, कुछ तौर ही ऐसा है
हर पहर में उबासी, बिन बात की उदासी
इनका सबब न पूछो, बस दौर ही ऐसा है
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