12.7.14

तुझको रम में भी भिगोया मैंने
कितने हर्फों में डुबोया मैंने
अपनी नींदों में पिरोया मैंने
तू सियाही में अभी जिंदा है
मेरी कॉपी में अब भी ज़िंदा है
तू तसव्वुर का इक परिंदा है

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