तारे गुब्बारे बन गए सारे
हमने आहों की हवा दी थी इन्हें
हमने आहों की हवा दी थी इन्हें
***
ये ज़हर लाजवाब होता है
इश्क़ ऐसी शराब होता है
हाथ लगती फज़ूल यादें बस
यूँ ही खाना खराब होता है
***
रेत को पकड़ा, पानी बांधा, बिसरी बातें याद करी
कुछ घड़ियों को घड़ी को रोका, कल यारों से बात करी
***
रात तारों भरे फलक पे हम
डॉट्स को जोड़ते रहे ता-सहर
तेरा चेहरा नहीं बना फ़िर भी
***
नीमसर्द दिन में
नीमदर्द दिल में
***
रेत को पकड़ा, पानी बांधा, बिसरी बातें याद करी
कुछ घड़ियों को घड़ी को रोका, कल यारों से बात करी
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रात तारों भरे फलक पे हम
डॉट्स को जोड़ते रहे ता-सहर
तेरा चेहरा नहीं बना फ़िर भी
***
नीमसर्द दिन में
नीमदर्द दिल में
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