30.12.14

सीपिया

एक दिन वक़्त थमेगा, मैं गुज़र जाऊँगा
इन हवाओं में धुंआ बन के बिखर जाऊंगा

तेरी यादों के सराय में रह सकूँ तो रुकूँ
वरना निकला तो क्या पता मैं किधर जाऊंगा

जब मेरी यादें सीपिया सी हो चली होंगी
मैं नई शक़्ल पहन के फ़िर घर आऊंगा

दो घड़ी मुझ से बात कर ले हमसफ़र मेरे
ना जाने कौन से स्टेशन पे उतर जाऊंगा

तेरे जाने की तो आदत मैं डाल लूंगा चलो
तेरे मिलने की ख़ुशी से न उबर पाऊँगा

नाम मन्नू का रहे याद ज़रूरी भी नहीं
बात मेरी कभी दोहराये तो तर जाऊंगा

#मन्नूमेंटल

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