जो था खामोश सा
हाशिये पे खड़ा
जिसने चाहा तुझे
पर नहीं कुछ कहा
मैं वही शख्स हूँ
मौत ने हार कर
ज़िंदगी से कहा
क्यूँ तू छिपती फिरे
मेरे बिन तू कहाँ
मैं तेरा अक्स हूँ
हाशिये पे खड़ा
जिसने चाहा तुझे
पर नहीं कुछ कहा
मैं वही शख्स हूँ
मौत ने हार कर
ज़िंदगी से कहा
क्यूँ तू छिपती फिरे
मेरे बिन तू कहाँ
मैं तेरा अक्स हूँ
तीसरी आँख खुलने पे
जो शिव करे
सर कफ़न बाँध के
जिसको बिस्मिल करे
मैं तो वो रक्स हूँ
हाशिया : margin
अक्स : reflection
बिस्मिल : wounded
रक्स : dance
जो शिव करे
सर कफ़न बाँध के
जिसको बिस्मिल करे
मैं तो वो रक्स हूँ
हाशिया : margin
अक्स : reflection
बिस्मिल : wounded
रक्स : dance
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