5.5.15

इबादत का कायदा

इबादत का भी कायदा होवे
तुम करो तो ही वो खुदा होवे

चाहतें और किस्मतें अक्सर
असलियत में ज़ुदा ज़ुदा होवे

कल इबारत बदल भी सकती है
नाम पत्थर पे क्यों गुदा होवे

जिसको तू राज़दां बना लेवे
वो शख़्स अक्सर गुमशुदा होवे

तू उठाये जा परदे से परदा
वो सनम कितना पोशीदा होवे

दिल को पत्थर बना लिया उसने
नाम मन्नू का अब खुदा होवे

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