5.5.15

टुकड़े

सच के बोले से टूट जाए जो
उसको रिश्ता नहीं कहा करते

हमको चुभने दो गर चुभे है तो
तुम फख़त आइना बने रहना

झूठ के सामने चटक जावे
आइना होवे के रिश्ता होवे

No comments: