17.12.15

Flash ग़ज़ल

आज सुबह whatsapp के दोस्तों के साथ एक मजेदार खेल खेला. कुछ खूबसूरत लफ्ज़ मांगें, जिन्हें पिरो के मुझे कम से कम समय में एक फ़्लैश-ग़ज़ल लिखनी थी. तो ये थे वो लफ्ज़ और वो ग़ज़ल. बताइयेगा कैसी लगी कोशिश.

1.

ये कैसा हंगामा चारसूँ है
ज़मीं निगूं है फ़लक निगूं है

ये तेरी क़ुरबत का सिला शायद
है चाक सीना नज़र में खूँ है

घड़ी क़यामत मलक ने पूछा
क्या और जीने की आरज़ू है?

ग़ुबार बरसों से दिल में क़िबला
बड़ी ही खामोश सी गुफ्तगू है

न पूछ मन्नू से दीन उसका
तू ही नमाज़ां तू ही वज़ू है

Seed Words:
निगूं (उलटा, Inverted)
मलक (फरिश्ता, Angel)
क़ुरबत (नज़दीकी, Proximity)
ग़ुबार (धूल का बादल, Dust cloud) 
फ़लक (आसमान, Sky) 

Translation:
What's this strange commotion all around?
Why are the earth and sky upside down?

Perhaps it's the result of your company.
My chest is wounded, my eyes are bloody.

The world was ending, when an angel asked me,
Do you wish to live a liitle longer?

All this frustration bottled up inside for years,
And yet our conversation is quiet and somber.

Don't ask me what my religion is,
For you are the sole prayer on his lips.

2.

हाल न पूछो दिल का क्या है
ये तनहा था ये तनहा है

तेरे आने के मौसम को
दिल के शज़र ने धूप कहा है

आसमान तेरा है परिंदे
तू क्यों पिंजरे में बैठा है

मेरी गवाही आँखें देंगीं
वरना अल्फ़ाज़ों का क्या है

क्या है ख़ुशी और क्या है ये ग़म
हमसे पूछो सब माया है

दिल दिमाग की जद्दोज़हद में
मन्नू दिल अक्सर जीता है

Seed Words:
धूप (Sunshine)
ख़ुशी (Joy)
आसमान (Sky)
दिल (Heart)
अलफ़ाज़ (Words)
तनहा (Lonely)
परिंदे (Birds)
गवाही (Witnessing)

3.

बस हमें घुटने मोड़ने की आदत न हुयी
इसी के चलते ताउम्र इबादत न हुयी

न तो दहलीज़ के अंदर कदम ही धरने दिया
और घर छोड़ के जाने की इज़ाज़त न हुयी

वो मुझे छोड़ गया यूँ ही हमेशा के लिए
इंतेहा देखो तां फिर भी क़यामत न हुयी

बड़ा ईमानदार था मेरी वफ़ा का जुनूं
क्या कहूँ एक फख़त इज़हार की हिम्मत न हुयी

यूँ बही ज़िन्दगी दो साहिलों के बीच मन्नू
न तो बरकत ही रही और ना शामत ही हुयी

Seed words:
इबादत
इज़ाज़त
इंतेहा
ईमानदार
इज़हार

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