23.1.10

किसी आसमानी शह का फेंका हुआ लंगर
कोहरे के समंदर में डूबा है यूँ शहर
सड़कों पे टिमटिमाती तैरती हैं गाड़ियाँ
ज्यों गहरे समंदर में चमकती हों मछलियाँ

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