2.7.13

माओवादी

ज़र्रा
निहायत मामूली
यूँ कि रख दो वापस ज़मीन पर
तो ढूँढ न पाओ मुढ़ कर
चिंगारी की सोहबत में पड़
गाहे बगाहे
शरारा बन बैठा
आज पुलिस पूछती थी उसे
सुनते हैं
रात जंगल में लगी आग में
उसी का हाथ था

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