31.3.14

या तो अहसास को पत्थर कर दे
या मेरे लफ्ज़ को नश्तर कर दे

या तो अम्बर को मेरी छत कर दे
या तो रस्ते पे मेरा घर कर दे


***


हाथ में ले छुरा, ज़ुबाँ पे बिस्मिल्ला
धार को तेज़ कर,  वार भी तेज़ कर 

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