बारिश में क्यूँ टेड़ी टेड़ी
गिरती है पानी की धार
बादल जब ठोकर खाते हैं
तेज़ हवा के धागों में वो
उलझ उलझ के रह जाते हैं
उनके तस्मे खुल जाते हैं
उनके चश्मे गिर जाते हैं
इस धींगामस्ती के चलते
सीधा टेड़ा भुल जाते हैं
टेड़े ही फिर बरसाते हैं
तब बारिश में टेड़ी टेड़ी
हो जाती है उनकी धार
समझे मिस्टर छोटूलाल
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