30.7.14

बुढ़ऊ पहाड़

भला रुई के मशक भी बनाता है कोई
हवाओं को बादल ऐसे थमाता है कोई

ये बुढ़ऊ पहाड़ न, सठिया गया है

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वो जो शख्स ईद का चाँद है
उसे आज तो मिलना होगा

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