15.12.14

कहाँ

मेरी रवानगी के बाद कहाँ, मैं कौन हूँ औ मेरी याद कहाँ
मैं तुझे दोस्त मान तो लूँ मगर, पीठ पीछे का ऐतमाद कहाँ

जाते हो जाओ कौन रोके है, ढूंढ लेंगे जी दूसरा कोई
हम तो दिल आसतीं में रखते हैं, पर तेरे जैसा परीज़ाद कहाँ

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