मेरे फूलों मेरे तारों ना ज़मीं पर लोटो
सफ़ेद यूनिफार्म मैली हुयी जाती है
चलो अब वक़्त हुआ उठ्ठो अपने कपडे झाड़
नस्ल की फ़स्ल हुयी गोलियों की घुन की शिकार
अपने हाथों से कभी खुद-सा ही बनाया था
फ़िर उसे तख़्त पे दुनिया के भी बिठाया था
उसी आदम को देख कर है खुदा शर्मसार
नस्ल की फ़स्ल हुयी गोलियों की घुन की शिकार
पले थे कितने प्यार से वो चाँद के टुकड़े
थे वो भी किसी औरत की जान के टुकड़े
जो आज़ सोये हैं, लहूलुहान से टुकड़े
ये सियाही की जगह खून क्यों टपकता है
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