16.12.14

माँ औ मौसी

राह लम्बी है रौशनी कम है
कदम कदम पे फ़िर फूले दम है

गंगा जमुना को आग कैसे लगी
दो धार में क्यों बँटता संगम है

फूस के घर में खेलते बच्चे
औ बस्तियों की हवा फ़िर गरम है

माँ औ मौसी में मन्नू किसको चुने
कौन ज़्यादा है कहो कौन कम है

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