किसने सूरज गला के बनाई ये धूप
और मेरे शहर पे उढ़ेला इसे
***
इतना भी नहीं आसां, कोई अच्छी नज़्म कहना
धूँए की रस्सियों को कभी बाँध के देखा है?
और मेरे शहर पे उढ़ेला इसे
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इतना भी नहीं आसां, कोई अच्छी नज़्म कहना
धूँए की रस्सियों को कभी बाँध के देखा है?
***
जो खुद की दुनिया में रमता
सीखे कैसे दुनियादारी?
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