अहमकों का वो सिरमौर है
बात में उसकी पर ज़ोर है
बात में उसकी पर ज़ोर है
अपनी क़िस्मत में तू हो न हो
अपनी कोशिश तो पुरज़ोर है
रात का ओर न छोर हैं
अपनी कोशिश तो पुरज़ोर है
रात का ओर न छोर हैं
और अन्धेरा भी घनघोर है
जब तेरे बाद कुछ भी नहीं
रात के बाद क्यूँ भोर है
जिसको स्याही कलम रास हो
समझो बन्दा ज़हरखोर है
मन्नू लिखता तो ओके है पर
आदमी ये बड़ा बोर है
जब तेरे बाद कुछ भी नहीं
रात के बाद क्यूँ भोर है
जिसको स्याही कलम रास हो
समझो बन्दा ज़हरखोर है
मन्नू लिखता तो ओके है पर
आदमी ये बड़ा बोर है
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