31.7.15

दोगे ना

मैं कहूँ और तुम सुनो
न कहूँ तो भी सुनो
सुनते हो ना

दिल हो दरिया
दिल हो नाव
और किनारे
दिल के गांव
दिल ही छाता
दिल की छाँव

मैं थमूं तो हाथ दो
चल पडूँ तो साथ दो
क्यूँ दोगे ना

साथ बांचे वक़्त को
साथ समझें ज़िन्दगी
उम्र बढ़ती जाए पर हो
बचपने सी सादगी
एक ही हो अर्श चाहे
अलहदा अपनी ज़मीं

सँभलने को कंधा दो
और गिरूँ तो थाम लो
थामोगे ना

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