वही ज़ीनत तुम्हारी है
वही हालत हमारी है
तेरे इक नाम का कलमा
हरेक आयत पे भारी है
मेरा कातिल न हो रुसवा
ये मेरी ज़िम्मेदारी हो
न छूटे जान से पहले
ये खू-ऐ-बादाखारी है
तेरे आरिज़ की शबनम पे
मेरी जां वारी वारी है
वस्ल के एक लम्हे की
अज़ल से इंतजारी है
शहर में मन्नू का चर्चा
दीवानों में शुमारी है
वही हालत हमारी है
तेरे इक नाम का कलमा
हरेक आयत पे भारी है
मेरा कातिल न हो रुसवा
ये मेरी ज़िम्मेदारी हो
न छूटे जान से पहले
ये खू-ऐ-बादाखारी है
तेरे आरिज़ की शबनम पे
मेरी जां वारी वारी है
वस्ल के एक लम्हे की
अज़ल से इंतजारी है
शहर में मन्नू का चर्चा
दीवानों में शुमारी है
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